बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-3 इतिहास बीए सेमेस्टर-3 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 |
बीए सेमेस्टर-3 इतिहास
प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
अथवा
चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध के कारण एवं परिणाम बताइये।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
2. चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
3. चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध 1799 के क्या परिणाम हुए?
4. टीपू सुल्तन और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
उत्तर -
चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध के कारण
1. अंग्रेज मैसूर का तीसरा युद्ध - तीसरे युद्ध में मैसूर की पराजय हुई थी। इसी युद्ध में टीपू के विरुद्ध अंग्रेज, निजाम व मराठे संगठित थे। 1792 में हुई श्रीरंगापट्टनम की सन्धि द्वारा मैसूर का आधा राज्य उससे छीन लिया गया था। टीपू को 30 लाख पौण्ड धन युद्ध की क्षतिपूर्ति के रूप में देना पड़ा था। उसके दो पुत्र अंग्रेजों के पास बन्धक थे तथा सीमावर्ती किलों की सुरक्षा व किलेबन्दी करने पर प्रतिबन्ध भी लाद दिया गया था। टीपू ने इस अपमान और पराजय को सदैव याद रखा। वह भविष्य में अपनी स्थिति को सुदृढ़ करने में लगा था जिससे उसे अपना खोया हुआ भू-भाग धन व सम्मान पुनः प्राप्त हो सके। उसने किलों की किलेबन्दी शुरू की, घुड़सवार व पैदल सेना में वृद्धि करके उनके प्रशिक्षण में सुधार किया। राज्य की आय बढ़े इसलिए उसने भू-राजस्व 37 =% कर दिया तथा कृषि की उन्नति करने के लिए उसने काफी अन्य कार्य किए। उसके सभी कार्य विशुद्ध रूप से स्वयं को शक्तिशाली बनाना था।
2. वेलेजली का साम्राज्यवादी विचार - इंग्लैण्ड द्वारा भारत में भेजे गए सफल साम्राज्यवादियों में से वेलेजली एक था। उनके कार्यों की सफलता का अनुमान मात्र 1798 की तुलना में 1805 के अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार का मूल्यांकन करने से स्पष्ट ज्ञात होता है। वह भारत में कम्पनी को सर्वोच्च सत्ता बनाना चाहता था। इस कार्य के लिए उसने 'सहायक सन्धि की नीति का पालन किया जिसके आधार पर वह भारत के देशी राज्यों का अधीनस्थ मित्र बनाना चाहता था। वह इस कार्य में सफल भी रहा। अवध, हैदराबहाद, मराठे आदि सभी उसके अधीनस्थ मित्र बन गए। उसकी महत्वाकांक्षा में मैसूर का टीपू सुल्तान बाधक था। टीपू ने सहायक सन्धि करने से मना कर दिया और वह निरन्तर फ्राँसीसियों की सहायता से अपनी स्थिति को सुदृढ़ करता जा रहा था जोकि वेलेजली जैसे साम्राज्यवादी सोच के व्यक्ति के लिए असह्य था। वह भारत के साम्राज्य को फ्राँसीसी भय से मुक्त करना चाहता था। इस कार्य के लिए टीपू सुल्तान से युद्ध आवश्यंभावी था।
3. टीपू का फ्राँसीसी समर्थक होना - टीपू अंग्रेजों का कट्टर शत्रु था और वह फ्राँसीसियों की सहायता लेकर अंग्रेजों को भारत से निकालने के लिए कटिबद्ध था। वेलेजली को यह सन्देह था कि कुछ फ्राँसीसी स्वयंसेवक मैसूर आए जहाँ उन्होंने 'स्वतन्त्रता' के वृक्ष को आरोपित किया, स्वयं टीपू जैकोबिन- दल का सदस्य बना, उसने अपने को 'नागरिक टीपू पुकारा, मॉरीशस के फ्राँसीसी गवर्नर ने टीपू को मैसूर का सुल्तान स्वीकार किया और जिस समय वेलेजलीं कलकत्ता आया था उसी समय फ्राँसीसी सैनिकों की एक टुकड़ी मंगलौर पहुँची। निश्चय ही यह टीपू का अंग्रेजों को भारत से निकालने और अपने अपमान का बदला लेने की दिशा में एक कदम था।
4. फ्राँसीसी आक्रमण का भय - वेलेजली इंग्लैण्ड से भारत के लिए उस समय चला था जब क्रान्तिकारी फ्राँस के विरुद्ध यूरोप का प्रथम गुट समाप्त हो चुका था और नेपोलियन रूस से मैत्री करके फारस के रास्ते से भारत पर आक्रमण करने की योजना बना रहा था। भारत के ग्वालियर, हैदराबाद तथा मैसूर जैसे शक्तिशाली राज्य फ्राँसीसियों सैन्य अफसरों से अपनी सेना को प्रशिक्षण दिलवा रहे थे। वेलेजली ने भारत से इस फ्राँसीसी प्रभाव को समाप्त करने की एक नीति बनाई जिसके तहत भारत में एक ऐसा राज्य न हो जिसकी शक्ति अंग्रेजों पर निर्भर न करती हो अथवा जिनके राजनीतिक व्यवहार पर अंग्रेजों का नियन्त्रण हो 1 1798 में उसने हैदराबाद के निजाम से सहायक सन्धि की जिसमें विदेश नीति अंग्रेजों ने अपने हाथों में ले ली और किसी भी यूरोपियन व अमेरिकन को सरकारी सेवा में न नियुक्त करने की शर्त मनवाई गई। मराठों ने यद्यपि बाद में इसे स्वीकारा किन्तु वे अंग्रेजों के पक्ष में अनुकूल थे। ऐसे में टीपू से युद्ध के बिना कोई अन्य रास्ता न बचा था।
5. चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध (1799 ई०) - तृतीय अंग्रेज-मैसूर युद्ध के बाद मैसूर की शक्ति आधी हो गई थी और उसकी निरन्तर शक्ति वृद्धि की लालसा ने टकराव की स्थिति ला दी। वेलेजली ने टीपू को और कमजोर बनाने के लिए निजाम व मराठों को अपनी तरफ मिलाने का प्रयास किया। निजाम ने वेलेजली से सहायक सन्धि कर लिया था दूसरी तरफ मराठों ने उससे सहायक सन्धि तो नहीं किया था किन्तु वेलेजली ने मराठा पेशवा को मैसूर के जीते जाने वाले प्रदेश का आधा भाग देने का लालच दिखाकर अपने पक्ष में कर लिया था। अपनी स्थिति दृढ़कर वेलेजली ने टीपू पर श्रीरंगापट्टम की सन्धि की अवहेलना का आरोप लगाकर 1799 में मैसूर पर आक्रमण शुरू कर दिए गए।
जनरल हैरिस और आर्थर वेलेजली के नेतृत्व में एक सेना ने फरवरी में वैलोर से चलकर मार्च 1799 में मैसूर पर आक्रमण किया गया। पश्चिम की दिशा से जनरल स्टुअर्ट के नेतृत्व में मैसूर पर आक्रमण किया। जनरल स्टुअर्ट ने टीपू को सीदासीर और जनरल हैरिस ने टीपू को मालवेली के युद्ध मैदान में पराजित किया। टीपू श्रीरंगापट्टम के किले में भागकर छिप गया। 17 अप्रैल 1799 को इस किले को घेर लिया गया और कुछ लालची सेनाधिकारियों के पाला बदल लेने से 4 मई, 1799 को श्रीरंगापट्टम पर कब्जा कर लिया गया। टीपू अपने किले की दीवार पर युद्ध करता हुआ मारा गया और उसके पुत्र ने वेलेजली के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया।
परिणाम - इस प्रकार मैसूर का यह मुस्लिम राज्य 33 वर्ष राज्य करने के बाद समाप्त हो गया। मराठा पेशवा ने शर्तों के साथ मैसूर का भू-भाग प्राप्त करने से इंकार कर दिया। निजाम को उसकी उत्तर- पूर्व की सीमा से जुड़े हुए कुछ भू-भाग प्राप्त हुए जिसमें गूटी, गुरुमकोण्डा और उसके किले को छोड़कर चित्तलदुर्ग के जिला शामिल थे। अंग्रेजों ने पश्चिम में कनारा, दक्षिण-पश्चिम में बाईनाद, कोयम्बटूर और दारापुरम् के जिले व श्रीरंगापट्टम सहित दो जिले अपने राज्य में शामिल कर लिया। मैसूर का बचा हुआ प्रदेश मैसूर के पुराने हिन्दू राजवंश के अल्पायु शासक को सौंप दिया गया। उसने अंग्रेजों के साथ सहायक सन्धि कर अंग्रेजों का संरक्षकत्व स्वीकार कर लिया। टीपू के वंशजों को वैलोर के किले में भेज दिया गया जहाँ वे लगभग बंदी जैसा जीवन बिताते रहे।
मैसूर - विजय की बहुत अधिक महत्ता थी। अंग्रेजों के शत्रु फ्राँसीसियों का भारत से अस्तित्व सदैव के लिए समाप्त हो गया। टीपू की पराजय व मृत्यु ने भारत के दक्षिण में अन्तिम प्रतिरोधक शक्ति को भी समाप्त कर दिया। वेलेजली की इस विजय के कारण उसे 'मारक्वेस' की उपाधि दी गई। डीन हटन ने मैसूर की विजय के बारे में लिखा, "सैनिक, आर्थिक और शान्ति स्थापना की दृष्टि से मैसूर की विजय, क्लाइव के पश्चात्, अंग्रेजी शक्ति की सबसे महत्वपूर्ण विजय थी। टीपू सुल्तान को फ्राँस, फारस, अफगानिस्तान व तुर्की से कोई सहायता न मिली जिसकी वह आशा करता था। इसके लिए नेपोलियन का भारत की ओर ध्यान न देना अति महत्वपूर्ण था।
|
- प्रश्न- भारत में सर्वप्रथम प्रवेश करने वाले विदेशी व्यापारी कौन थे? विस्तृत वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के आगमन को समझाते हुए डचों के पुर्तगालियों व अंग्रेजों से हुए संघर्षो पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में पुर्तगालियों के पतन के कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- फ्रांसीसियों के भारत आगमन एवं भारत में फ्रांसीसी शक्ति के विस्तार को समझाइए।
- प्रश्न- यूरोपीय डच कम्पनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों का भारत में किस प्रकार प्रवेश हुआ संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- यूरोपीय फ्रांसीसी कंपनी पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पुर्तगालियों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- पुर्तगालियों के असफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- आंग्ल-फ्रेंच संघर्ष के विषय में बताते हुए इसके मुख्य कारणों पर प्रकाश डालिये।
- प्रश्न- "अपनी अन्तिम असफलता के बावजूद भी डूप्ले भारतीय इतिहास का एक प्रतिभावान एवं तेजस्वी व्यक्तित्व है।" क्या आप प्रो. पी. ई. राबर्ट्स के डूप्ले की उपलब्धियों के सम्बन्ध में इस कथन से सहमत हैं?
- प्रश्न- भारत में अंग्रेजों की सफलता के क्या कारण थे?.
- प्रश्न- ईस्ट इंडिया कम्पनी के अधीन भारत में हुए सामाजिक और आर्थिक अभावों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजी कम्पनी के अधीन भारत में सामाजिक एवं धार्मिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- "भारत में फ्राँसीसियों की असफलता का कारण डूप्ले था।' इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- भारत में साम्राज्य स्थापित करने में अंग्रेजों की सफलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध के कारण व परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- कर्नाटक के युद्ध अंग्रेजों और फ्रांसीसियों की सदियों से परम्परागत शत्रुता का परिणाम थे, विवेचन कीजिये।
- प्रश्न- द्वितीय कर्नाटक युद्ध के कारणों और परिणामों की व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- उन महत्त्वपूर्ण कारणों का उल्लेख कीजिए जिनसे भारत में प्रभुत्व स्थापना के संघर्ष में फ्रांसीसियों को पराजय और अंग्रेजों को सफलता मिली।
- प्रश्न- क्लाइव की द्वितीय गवर्नरी में उसके कार्यों की समीक्षा कीजिये।
- प्रश्न- क्लाइव द्वारा बंगाल में द्वैध शासन की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- भारत में लार्ड क्लाइव के कार्यों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
- प्रश्न- "प्रथम अफगान युद्ध भारत के इतिहास में अंग्रेजों की सबसे गम्भीर भूल थी।' समीक्षात्मक मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में आंग्ल- फ्रांसीसी संघर्ष क्या था? इसके महत्त्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- द्वैध शासन व्यवस्था के गुण एवं दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-अफगान युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल के कठपुतली नवाबों के कार्यकाल पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- बंगाल के द्वैध शासन से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- द्वैध शासन की असफलता के क्या कारण थे?
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- नवाब सिराजुद्दौला के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- भारत में डच शक्ति के उत्थान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बक्सर का युद्ध (1764) तथा उसके महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड क्लाइव द्वारा किये गये सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'क्लाइव भारत में ब्रिटिश साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक था। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- इलाहाबाद की सन्धि की प्रमुख शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- प्लासी युद्ध के महत्व की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अलीनगर की सन्धि (सन् 1757 ई.) बताइये।
- प्रश्न- सिराजुद्दौला के विरुद्ध अंग्रेजों के मीर जाफर के साथ षड्यंत्र को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- प्लासी के युद्ध (सन् 1757 ई.) के परिणाम बताइये।
- प्रश्न- राबर्ट क्लाइव के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- बक्सर के युद्ध का महत्त्व बताइये।
- प्रश्न- बंगाल में द्वैध शासन का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- कालकोठरी की दुर्घटना क्या थी?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के अधीन विदेशी सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- 1773 के रेग्युलेटिंग ऐक्ट के गुण-दोष क्या थे?
- प्रश्न- हैदर अली के कार्यों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल मराठा युद्ध के कारणों एवं परिणामों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वॉरेन हेस्टिंग्ज के प्रशासनिक एवं राजस्व सुधारों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय नन्दकुमार का क्या मामला था?
- प्रश्न- मराठों के पतन के क्या कारण थे?
- प्रश्न- पानीपत के युद्ध की प्रमुख घटनाएँ क्या थीं?
- प्रश्न- वारेन हेस्टिंग्स के समय अवध की बेगमों का क्या मामला था?
- प्रश्न- लार्ड कॉर्नवालिस के सुधारों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- बंगाल की स्थायी भूमि कर व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- कार्नवालिस ने वॉरेन हेस्टिंग्ज का कार्य पूर्ण किया। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- तृतीय मैसूर युद्ध के क्या कारण थे?
- प्रश्न- भूमि कर नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- एक साम्राज्य निर्माता के रूप में वेलेजली की भूमिका का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- टीपू और वेलेजली के मध्य चतुर्थ आंग्ल-मैसूर युद्ध की कारणों सहित व्याख्या कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली की सहायक सन्धि प्रणाली को समझाते हुए उसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- वेलेजली तथा फ्रांसीसियों के बीच सम्बन्धों की विवेचना कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान की पराजय के कारण बताइए।
- प्रश्न- वेलेजली के अधीन अंग्रेजी साम्राज्य के विस्तार एवं कंपनी के प्रदेश की सीमाओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड वेलेजली के आगमन के समय भारत की राजनीतिक स्थितियाँ क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली की सहायक सन्धि की शर्तें क्या थीं?
- प्रश्न- वेलेजली के अवध के साथ सम्बन्ध पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- वेलेजली की उपलब्धियों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- ठगी को समाप्त करने के लिए लार्ड विलियम बैंटिक ने कहां तक सफलता प्राप्त की?
- प्रश्न- ब्रिटिश कम्पनी की भारत में आर्थिक एवं शैक्षिक नीति की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- लॉर्ड विलियम बेंटिक के प्रशासनिक एवं सामाजिक सुधारों का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक ने सती प्रथा तथा अन्य क्रूर प्रथाओं को बन्द करने की क्या नीति अपनाई? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के समाचार पत्रों के प्रति उदार नीति पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- विलियम बैंटिक के द्वारा नैतिक तथा बौद्धिक विकास के लिए किये गये शैक्षणिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- बैंटिक के वित्तीय तथा न्यायिक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड विलियम बैंटिक के प्रशासनिक एवं न्यायिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- ब्रिटिश भारत में स्त्रियों की स्थिति का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत पर ब्रिटिश शासन के सामाजिक प्रभाव का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों द्वारा पारित सामाजिक कानून पर निबन्ध लिखिए।
- प्रश्न- 1833 के चार्टर एक्ट पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी की 'हड़पनीति से आप क्या समझते हैं? इस नीति से ब्रिटिश साम्राज्यवाद को कैसे प्रोत्साहन मिला?
- प्रश्न- - डलहौजी के द्वारा किए गए रचनात्मक कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा विद्युत तार एवं डाक सुधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी द्वारा रेलवे विभाग में क्या सुधार किये गये?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी के प्रशासनिक एवं सैनिक सुधारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- भारत के आधुनिकीकरण में लार्ड डलहौजी का योगदान क्या था?
- प्रश्न- लार्ड डलहौजी को शिक्षा सम्बन्धी सुधारों में कहां तक सफलता प्राप्त हुई? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 1853 के चार्टर एक्ट पर टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का परिचय देते हुए अफगानों एवं अंग्रेजों के साथ सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- अंग्रेजों और सिक्खों के प्रथम युद्ध के कारण व प्रसिद्ध घटनाओं और परिणामों का वर्णन कीजिये।
- प्रश्न- रणजीत सिंह का डोंगरों और नेपालियों से सम्बन्ध को संक्षिप्त में समझाइये |
- प्रश्न- रणजीत सिंह के प्रशासन के अंतर्गत भूमिकर एवं न्याय प्रशासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- रणजीत सिंह ने सैनिक प्रशासन में कहाँ तक सफलता प्राप्त की? संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- प्रथम आंग्ल-सिख युद्ध का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिक्खों और अंग्रेजों के सम्बन्धों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हैदराबाद के एक राज्य के रूप में उदय की परिस्थितियों की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- हैदराबाद अकस्मात ही विघटनकारी शक्तियों का शिकार हो गया था, विवेचनात्मक उत्तर दीजिये।
- प्रश्न- 1724-1802 तक की हैदराबाद की राजनीतिक गतिविधियों का अवलोकन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू की शासन प्रणाली का सविस्तार से वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मैसूर राज्य का विस्तृत अध्ययन कीजिए।
- प्रश्न- एंग्लो-मैसूर युद्धों का समीक्षात्मक अध्ययन कीजिये।
- प्रश्न- टीपू सुल्तान और मैसूर पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- मैसूर व इतिहास लेखन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
- प्रश्न- 18वीं सदी में, मैसूर की स्थिति से संक्षिप्त रूप से परिचित कराइये।
- प्रश्न- 1399 ईस्वी से अठारहवीं सदी के मध्य मैसूर राज्य की स्थिति से अवगत कराइये।
- प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त से क्या आशय है? लार्ड कार्नवालिस द्वारा स्थायी बंदोबस्त लागू करने के क्या कारण थे?
- प्रश्न- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारतीयों पर भिन्न-भिन्न कर प्रणाली लगाने का क्या उद्देश्य रहा?
- प्रश्न- स्थायी बंदोबस्त ने किस प्रकार जमींदारी व्यवस्था को जन्म दिया?
- प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण के कारणों, परिणामों एवं विशिष्टताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 19वीं शताब्दी के प्रमुख सामाजिक-धार्मिक आन्दोलनों को बताइये।
- प्रश्न- क्या राजा राममोहन राय को 'आधुनिक भारत का पिता' कहना उचित है?
- प्रश्न- भारतीय सामाजिक तथा धार्मिक पुनर्जागरण में आर्य समाज की देनों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ब्रह्म समाज के प्रमुख सिद्धान्तों व कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत के सामाजिक-धार्मिक पुनरुत्थान में स्वामी विवेकानन्द के योगदान का विवरण दीजिए।
- प्रश्न- 19-20वीं सदी के जातिवाद विरोधी आंदोलनों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अहिंसा और सत्याग्रह पर गाँधी जी के विचारों का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- रामकृष्ण परमहंस पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- अछूतोद्धार हेतु भीमराव अम्बेडकर के किए गये कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक भारत में महिलाओं की स्थिति पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- एक शासक के रूप में अशोक के महत्व का मूल्यांकन कीजिए।
- प्रश्न- अस्पृश्यता से आप क्या समझते हैं? इसकी समस्याओं की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- भारतीय पुनर्जागरण का क्या अर्थ है?
- प्रश्न- ब्रह्म समाज से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- प्रार्थना समाज ने समाज सुधार की दिशा में क्या कार्य किए?
- प्रश्न- ईश्वर चन्द्र विद्यासागर के समाज सुधार में किए गए कार्यों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- आर्य समाज की मुख्य शिक्षाएँ व समाज सुधार में किए गए योगदान का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- थियोसोफिकल सोसाइटी पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- स्वामी विवेकानन्द के सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- भारत में 19वीं सदी में हुए विभिन्न सुधारवादी आन्दोलनों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- अश्पृश्यता निवारण के लिए महात्मा गाँधी की सेवाओं का मूल्याँकन कीजिए।
- प्रश्न- 20वीं सदी में हुए प्रमुख सामाजिक सुधारों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- समाजवाद पर नेहरू के विचारों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आधुनिक काल में जाति प्रथा पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
- प्रश्न- भारतीय समाज पर पड़े दो पाश्चात्य प्रभावों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- नाविक विद्रोह 1946 का महत्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- स्वदेशी विचार के विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- होमरूल से आप क्या समझते हैं?
- प्रश्न- साम्प्रदायिक निर्णय 1932 ई. की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- दाण्डी यात्रा का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- श्री अरविन्द घोष के जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- रामकृष्ण मिशन के कार्यों का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- चैतन्य महाप्रभु पर एक टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'पुरुषार्थ आश्रमों के मनोनैतिक आधार हैं। टिप्पणी कीजिए।
- प्रश्न- उन्नीसवीं सदीं में सामाजिक जागरण के क्या कारण थे?